‘आश्रम’: एक संत के पाखंड का महाकाव्य – बॉबी देओल के सफर की एक अनोखी गाथा (सीजन 1 से आगामी तक)
भारतीय ओटीटी परिदृश्य में कुछ ही वेब सीरीज़ ऐसी हैं जिन्होंने ‘आश्रम’ जैसी बहस, विवाद और असीम लोकप्रियता हासिल की है। प्रकाश झा द्वारा निर्देशित और एमएक्स प्लेयर पर प्रसारित यह सीरीज़, अभिनेता बॉबी देओल के करियर में एक मील का पत्थर साबित हुई है, जिन्होंने ‘काशीपुर वाले बाबा निराला’ के रूप में एक ऐसे किरदार को जीवंत किया है, जो दर्शकों के मन में डर, जिज्ञासा और घृणा तीनों भाव जगाता है। ‘आश्रम’ सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि समाज के एक ऐसे कड़वे सच का आईना है, जहाँ आस्था और पाखंड की पतली रेखा धुंधली पड़ जाती है। आइए, इस असाधारण वेब सीरीज़ के अब तक के सफर, इसके केंद्रीय किरदारों, विवादों और आगामी सीज़न की उम्मीदों पर एक विस्तृत नज़र डालें।
‘आश्रम’ की नींव: एक बदनाम बाबा का उदय (सीजन 1)
‘आश्रम’ का पहला सीज़न, जिसका शीर्षक ‘एक बदनाम आश्रम: चैप्टर 1 – प्रण प्रतिष्ठा’ था, 28 अगस्त 2020 को एमएक्स प्लेयर पर रिलीज़ हुआ था। यह सीज़न दर्शकों के लिए एक झटके की तरह था, क्योंकि इसने उन्हें एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु की दुनिया से परिचित कराया, जो बाहर से तो लोगों का उद्धारकर्ता लगता है, लेकिन अंदर से भ्रष्टाचार, यौन शोषण और अपराधों का एक गहरा मकड़जाल बुनता है।
कहानी की शुरुआत एक दलित पहलवान पम्मी (अदिति पोहनकर) से होती है, जो समाज में जातिगत भेदभाव का शिकार है। जब एक दुर्घटना में उसके परिवार को बाबा निराला से मदद मिलती है, तो वह और उसका परिवार बाबा की अंधभक्ति में लीन हो जाते हैं। पम्मी, जो कुश्ती में अपना करियर बनाना चाहती है, बाबा के आश्रम में आकर बस जाती है। यहीं से बाबा के पाखंड और उनके साम्राज्य की काली सच्चाई धीरे-धीरे सामने आने लगती है।
बॉबी देओल ने बाबा निराला के किरदार में अपनी पहचान ही बदल दी। उनका शांत, मोहक और धूर्त अंदाज़ एक पाखंडी बाबा के चरित्र में जान फूंक देता है, जो अपनी छवि का उपयोग करके भक्तों को अपनी मुट्ठी में कर लेता है। चंदन रॉय सान्याल ने भोपा सिंह के रूप में बाबा के वफादार और क्रूर दाहिने हाथ का किरदार निभाया है, जो बाबा के हर काले काम को अंजाम देता है। इस सीज़न में ही बाबा के राजनीतिक संबंधों, ड्रग्स के कारोबार और महिलाओं के शोषण की भयावह शुरुआत होती है। पहले सीज़न ने दर्शकों को झकझोर कर रख दिया और एक शक्तिशाली कहानी की नींव रखी।
‘द डार्क साइड’: बाबा का बढ़ता साम्राज्य (सीजन 2)
पहले सीज़न की जबरदस्त सफलता के बाद, ‘आश्रम चैप्टर 2: द डार्क साइड’ 11 नवंबर 2020 को रिलीज़ हुआ। यह सीज़न बाबा निराला के बढ़ते प्रभाव और उनके अपराधों की गहरी परतों को उजागर करता है। बाबा अब सिर्फ एक आध्यात्मिक गुरु नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली किंगमेकर बन चुके हैं, जिनकी उंगलियों पर राजनेता नाचते हैं। उनका आश्रम एक अभेद्य किले में बदल जाता है, जहाँ जपनाम की आड़ में हर तरह के अपराध होते हैं।
इस सीज़न में पम्मी और उसके भाई का संघर्ष गहरा होता है। पम्मी, जो बाबा के हाथों शोषण का शिकार होती है, उसके चंगुल से भागने की कोशिश करती है। वहीं, इंस्पेक्टर उजागर सिंह (दर्शन कुमार) और पत्रकार अखाड़ा सिंह (अध्ययन सुमन) बाबा के खिलाफ सबूत जुटाने की कोशिश करते हैं। बबीता (त्रिधा चौधरी) का किरदार भी महत्वपूर्ण होता है, जो बाबा के जाल में फंसकर एक मोहरे में बदल जाती है।
बॉबी देओल ने इस सीज़न में बाबा के अहंकार और सत्ता के नशे को बखूबी दर्शाया। उनका किरदार और भी डार्क और नियंत्रित हो जाता है, जिससे उनकी चालाकियाँ और क्रूरता स्पष्ट दिखती है। सीज़न 2 ने ‘आश्रम’ के दायरे को और बढ़ाया, जिसमें राजनीति, धर्म और अपराध का एक जटिल गठजोड़ दिखाया गया, जो दर्शकों को अपनी सीट से बांधे रखता है।
‘गहरी चालें और बदले की आग’: संघर्ष का चरमोत्कर्ष (सीजन 3)
‘आश्रम’ का तीसरा सीज़न, जिसका शीर्षक ‘एक बदनाम आश्रम: चैप्टर 3 – गहरी चालें’ था, 3 जून 2022 को एमएक्स प्लेयर पर आया। यह सीज़न संघर्ष और बदले की भावना से ओतप्रोत है। बाबा निराला का साम्राज्य अब अपनी चरम सीमा पर है, और वह खुद को भगवान मानने लगा है। उनकी शक्ति असीमित प्रतीत होती है, लेकिन उनके विरोधियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।
इस सीज़न में पम्मी पहलवान का किरदार पूरी तरह से बदल जाता है। वह अब एक कमजोर पीड़िता नहीं, बल्कि एक सशक्त महिला बन चुकी है जो बाबा से बदला लेने के लिए दृढ़ है। वह बाबा की पोल खोलने के लिए हर संभव कोशिश करती है। उजागर सिंह भी बाबा के खिलाफ अपने मामले को मजबूत करने के लिए और सबूत जुटाते हैं। कहानी में एक नया महत्वपूर्ण किरदार भी जुड़ता है, जिसने बाबा के साम्राज्य में हलचल मचा दी है।
बॉबी देओल ने बाबा निराला के रूप में अपनी भूमिका में और भी गहराई लाई है। अब वह सिर्फ एक पाखंडी बाबा नहीं, बल्कि एक ऐसा व्यक्ति है जो सत्ता के नशे में चूर है और किसी भी हद तक गिर सकता है। उनके चेहरे पर दिखने वाला आत्मविश्वास और क्रूरता दर्शकों को उनके चरित्र की भयावहता का एहसास कराती है। तीसरे सीज़न में बाबा के ड्रग्स के कारोबार, उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और उनके खिलाफ बन रहे गठबंधन को और भी विस्तार से दिखाया गया है। यह सीज़न कई सवालों के साथ समाप्त होता है, जो आगामी सीज़न के लिए उत्सुकता बढ़ाते हैं।
विवादों का ‘आश्रम’
‘आश्रम’ वेब सीरीज़ अपनी शुरुआत से ही विवादों में रही है। कई संगठनों और व्यक्तियों ने इस पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है, यह दावा करते हुए कि यह हिंदू धर्म के संतों और आश्रमों को नकारात्मक रूप से चित्रित करता है। कुछ लोगों ने इसे डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह इंसां के जीवन से प्रेरित बताया है, जो यौन उत्पीड़न और हत्या के मामलों में दोषी ठहराए गए हैं।
इन विवादों के कारण कई बार प्रदर्शन और कानूनी शिकायतें भी दर्ज की गईं। मध्य प्रदेश में सीरीज़ की शूटिंग के दौरान बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ भी की थी, जिससे शूटिंग बाधित हुई थी। इन विवादों के बावजूद, ‘आश्रम’ ने जबरदस्त दर्शक संख्या हासिल की है, जिससे यह एमएक्स प्लेयर की सबसे सफल वेब सीरीज़ में से एक बन गई है। प्रकाश झा ने हमेशा यह बनाए रखा है कि यह सीरीज़ काल्पनिक है और इसका उद्देश्य आस्था के नाम पर होने वाले पाखंड को उजागर करना है, न कि किसी विशेष धर्म या व्यक्ति को निशाना बनाना। विवादों ने एक तरह से सीरीज़ को और अधिक प्रचारित किया है, जिससे यह दर्शकों के बीच एक चर्चा का विषय बनी रही।
बॉबी देओल का ‘बाबा निराला’ कायाकल्प
‘आश्रम’ वेब सीरीज़ बॉबी देओल के करियर के लिए एक नया मोड़ साबित हुई है। एक समय था जब बॉबी देओल अपने फिल्मी करियर में संघर्ष कर रहे थे। ‘आश्रम’ में बाबा निराला का किरदार उनके लिए एक गेम-चेंजर साबित हुआ। उन्होंने इस ग्रे शेड वाले किरदार को इतनी सहजता और गहराई से निभाया कि दर्शक हैरान रह गए। उनकी आँखों में दिखने वाली धूर्तता, चेहरे पर एक स्थायी रहस्यमयी मुस्कान और शारीरिक भाषा, सभी ने मिलकर बाबा निराला को एक अविस्मरणीय खलनायक बना दिया।
बॉबी देओल ने खुद स्वीकार किया है कि यह उनके करियर के सबसे चुनौतीपूर्ण किरदारों में से एक था। इस भूमिका ने उन्हें न केवल एक अभिनेता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया, बल्कि उन्हें ओटीटी प्लेटफॉर्म पर एक मजबूत पहचान भी दिलाई। ‘आश्रम’ से पहले, बॉबी देओल को अक्सर रोमांटिक और एक्शन हीरो के रूप में देखा जाता था, लेकिन बाबा निराला ने उन्हें एक नए अवतार में पेश किया, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। उनकी फीस भी इस सीरीज़ के लिए काफी चर्चा में रही है, जो उनके बढ़ते स्टारडम का प्रमाण है।
‘आश्रम’ का भविष्य: आगामी सीज़न की उम्मीदें
‘आश्रम’ के फैंस बेसब्री से इसके आगामी सीज़न का इंतजार कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘आश्रम 4’ (जिसे ‘एक बदनाम आश्रम: चैप्टर 4’ भी कहा जा सकता है) 2025 में रिलीज़ होने की उम्मीद है। हालांकि, इसकी कोई आधिकारिक रिलीज़ डेट अभी तक घोषित नहीं की गई है।
तीसरे सीज़न के अंत में पम्मी और उजागर सिंह ने बाबा के खिलाफ अपने जाल को कसना शुरू कर दिया था। बाबा खुद को कानून से ऊपर मानते हुए और भी मजबूत होते जा रहे हैं, लेकिन उनके कई दुश्मन भी बन चुके हैं, जिनमें मुख्यमंत्री हुकुम सिंह भी शामिल हैं, जिन्हें बाबा ने सत्ता में आने में मदद की थी।
आगामी सीज़न में उम्मीद की जा रही है कि बाबा निराला के पतन की शुरुआत होगी। पम्मी का बदला अपनी चरम सीमा पर पहुंच सकता है, और उजागर सिंह के हाथ बाबा के खिलाफ ऐसे पुख्ता सबूत लग सकते हैं जो उन्हें बेनकाब कर सकें। इसके अलावा, बाबा के साम्राज्य के अंदरूनी संघर्ष और उनके नए दुश्मन भी कहानी में और अधिक मोड़ ला सकते हैं। दर्शक यह देखने के लिए उत्सुक हैं कि क्या बाबा निराला का ‘स्वर्ग लोक’ अंततः ढहेगा, या वह अपनी चालाकी और शक्ति से एक बार फिर बच निकलने में कामयाब होगा।
यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि ‘आश्रम 5’ भी 2025 में ही रिलीज़ हो सकती है, जो इस सीरीज़ के भविष्य की निरंतरता को दर्शाता है। प्रकाश झा की इस महत्वाकांक्षी परियोजना ने भारतीय वेब सीरीज़ के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है, और यह लगातार अपनी कहानी और किरदारों के साथ दर्शकों को बांधे हुए है।
निष्कर्ष
‘आश्रम’ एक ऐसी वेब सीरीज़ है जिसने भारतीय समाज के एक संवेदनशील मुद्दे – अंधविश्वास और आस्था के नाम पर होने वाले शोषण – को बड़े ही बेबाकी से उठाया है। बॉबी देओल ने बाबा निराला के रूप में एक ऐसा किरदार निभाया है जो दर्शकों के मन में गहरा प्रभाव छोड़ता है। सीरीज़ ने अपने हर सीज़न के साथ बाबा के साम्राज्य की परतों को खोला है, जिसमें अपराध, राजनीति, यौन शोषण और शक्ति का भयावह खेल दिखाया गया है।
चाहे वह विवादों में रही हो या आलोचना का शिकार, ‘आश्रम’ ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर किया है और एक महत्वपूर्ण संवाद शुरू किया है। इसके प्रभावशाली प्रदर्शन, खासकर बॉबी देओल के, और प्रकाश झा के कुशल निर्देशन ने इसे एक ऐसी सीरीज़ बना दिया है जिसे भारतीय ओटीटी कंटेंट में अनदेखा नहीं किया जा सकता। जैसे-जैसे हम आगामी सीज़न का इंतजार कर रहे हैं, ‘आश्रम’ की कहानी निश्चित रूप से और अधिक ट्विस्ट, टर्न और चौंकाने वाले खुलासे लेकर आएगी, जिससे यह अपने ‘बदनाम’ शीर्षक को और अधिक सार्थक बनाएगी।